Monday, July 14, 2025

Ravayat collection is a manuscript or evidence of best practices and follow-ups

The present document Ravayat, is an accumulation of some reflective experiences, active involvements and best practices based on the vision and mission philosophy of Human Resource Development Centre, Guru Jambheshwar University of Science &Technology, Hisar. In fact, all the above-mentioned practices and follow-ups are the partners in how people develop and interact with the surrounding environment

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Sunday, January 5, 2025

रुमा देवी की प्रेरणादायक कहानी

 रुमा देवी की कढ़ाई विरासत:  16 नवंबर 1988 को राजस्थान के बाड़मेर जिले के एक छोटे से गाँव में जन्मीं रुमा देवी, पारंपरिक शिल्प और रंगीन परंपराओं से समृद्ध इस क्षेत्र की पहचान हैं। साधारण परिवार में पली-बढ़ी रुमा ने ग्रामीण भारत में महिलाओं की कठिनाइयों को करीब से देखा। इन चुनौतियों के बीच, उन्होंने पारंपरिक शिल्प की अपार संभावनाओं को भी महसूस किया, जो पीढ़ी दर पीढ़ी महिलाओं को सौंपी जाती रही थी।

बचपन से ही रुमा को कढ़ाई के बारीक और कलात्मक काम में रुचि थी। यह कला उनके परिवार और समुदाय का हिस्सा थी। उन्होंने पारंपरिक राजस्थानी कढ़ाई को अपनी रचनात्मकता के साथ जोड़ते हुए इसे और निखारा।

टर्निंग पॉइंट: 17 साल की उम्र में विवाह के बाद, रुमा देवी का जीवन एक महत्वपूर्ण मोड़ पर आ गया। अपने पति के घर में उन्होंने महसूस किया कि उनके समुदाय की कई महिलाएं आर्थिक तंगी से जूझ रही हैं। अधिकांश महिलाएं खेती पर निर्भर थीं, जो अक्सर मौसम की अनिश्चितता पर निर्भर करती थी।

परिवर्तन लाने के दृढ़ निश्चय के साथ, रुमा ने अपने गहने बेचकर एक सिलाई मशीन खरीदी। उस एक मशीन के साथ उन्होंने सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि अपने गाँव की अन्य महिलाओं के लिए भी बदलाव की राह तैयार की। धीरे-धीरे उन्होंने महिलाओं को इकट्ठा किया और उन्हें कढ़ाई का हुनर सिखाया, जिससे वे इस कला को आजीविका का साधन बना सकें।

नेटवर्क का निर्माण: जो एक छोटे से प्रयास के रूप में शुरू हुआ, वह एक आंदोलन में बदल गया। रुमा के जुनून और दृढ़ता ने उन्हें एक स्वयं सहायता समूह बनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने पारंपरिक कढ़ाई तकनीकों को सिखाने और आधुनिक रुझानों के अनुकूल डिज़ाइन प्रस्तुत करने के लिए प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए।

अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के माध्यम से, रुमा ने 30,000 से अधिक ग्रामीण महिलाओं का एक नेटवर्क तैयार किया। ये महिलाएं, जो पहले कभी अपने गाँव से बाहर नहीं गई थीं, अब खूबसूरत हस्तशिल्प बना रही हैं, जो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच रहे हैं।

मान्यता और प्रभाव: रुमा के प्रयास व्यर्थ नहीं गए। 2018 में, उन्हें महिलाओं के लिए भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार “नारी शक्ति पुरस्कार” प्रदान किया गया। इस मान्यता ने उनके काम को सुर्खियों में ला दिया और अनगिनत लोगों को प्रेरित किया। उनकी कहानी यह साबित करती है कि जमीनी स्तर की पहल से समाज में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।

जीवन सशक्तिकरण: आज, रुमा देवी ग्रामीण महिलाओं के लिए आशा की एक किरण हैं। उनका संगठन न केवल उन्हें आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान करता है, बल्कि आत्मविश्वास और गरिमा भी देता है। पारंपरिक शिल्प और वैश्विक बाजारों के बीच पुल बनाकर, रुमा ने राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करते हुए स्थायी आजीविका बनाई है।

उनकी यात्रा यह साबित करती है कि एक सुई और धागा, एक दृढ़ निश्चयी महिला के हाथों में, परिवर्तन का एक सुंदर ताना-बाना बुन सकता है।