Friday, January 1, 2021

उपनिषद वाङ्गमय में बृहदारण्यक उपनिषद

 उपनिषद वाङ्गमय में बृहदारण्यक उपनिषद शुक्ल यजुर्वेद की काण्व शाखा के शतपथ ब्राह्मण के अंतर्गत सबसे बृहत् उपनिषद है |उपनिषद (वेदान्त) वह गुह्य विद्या है जो गुरु के सान्निध्य में अर्जित की जाती है |वैदिक साहित्य का संक्षिप्त सार ही उपनिषद नाम से अभिहित है | धर्म एवं दर्शन की पराकाष्ठा स्वरूप बृहदारण्यक उपनिषद 3 काण्ड, 6 अध्याय और 47 ब्राह्मणो में विभक्त है | भारतीय दर्शन में आध्यात्मिक चिन्तन के सर्वोच्च नवनीत उपनिषदो में उक्त उपनिषद अपनी विद्या की परिचर्चा से सर्वोत्कृष्ठ है | इसमे वर्णीत याज्वल्क्य-मैत्रेयी,अजातशत्रु, गार्ग्य एवं दृप्तबालाकि के आध्यात्मिक संवाद विभिन्न प्रकार के आत्मा सम्बन्धी रहस्योद्घाटन में समर्थ हैं | यहाँ लौकिक सुख प्रदान करने वाली वस्तुओं की अपेक्षा परमानन्द तत्त्व की प्राप्ति को श्रेयस्कर बताया गया है | आध्यात्मिक शिक्षा को हृदयंगम  करने के उपरांत मनुष्य को सांसारिक अभ्युदय एवं नि:श्रेयस की प्राप्ति स्वत: ही हो जाती है |वैदिक धर्म - दर्शन में प्रस्थानत्रयी के रुप में उपनिषद, गीता एवं ब्रह्मसूत्र उच्चरित हैं | प्रथम प्रस्थान के रुप में उपनिषद समस्त भारतीय दर्शन के लिए सर्वोपरि उपजीव्य ग्रंथ के रुप में स्वीकृत हैं |उपनिषद वाङ्गमय में बृहदारण्यक उपनिषद शुक्ल यजुर्वेद की काण्व शाखा के शतपथ ब्राह्मण के अंतर्गत सबसे बृहत् उपनिषद है |उपनिषद (वेदान्त) वह गुह्य विद्या है जो गुरु के सान्निध्य में अर्जित की जाती है |वैदिक साहित्य का संक्षिप्त सार ही उपनिषद नाम से अभिहित है | धर्म एवं दर्शन की पराकाष्ठा स्वरूप बृहदारण्यक उपनिषद 3 काण्ड, 6 अध्याय और 47 ब्राह्मणो में विभक्त है | भारतीय दर्शन में आध्यात्मिक चिन्तन के सर्वोच्च नवनीत उपनिषदो में उक्त उपनिषद अपनी विद्या की परिचर्चा से सर्वोत्कृष्ठ है | इसमे वर्णीत याज्वल्क्य_मैत्रेयी,अजातशत्रु, गार्ग्य एवं दृप्तबालाकि के आध्यात्मिक संवाद विभिन्न प्रकार के आत्मा सम्बन्धी रहस्योद्घाटन में समर्थ हैं | यहाँ लौकिक सुख प्रदान करने वाली वस्तुओं की अपेक्षा परमानन्द तत्त्व की प्राप्ति को श्रेयस्कर बताया गया है | ब्रह्म वादिनी मैत्रेयी याज्वल्क्य ऋषि द्वारा दी गई समस्त धन राशि को यह कहकर अस्वीकार कर देती है कि जिससे मुझे अमरता की प्राप्ति नहीं हो सकती, उसे लेकर मैं क्या करुंगी | ठीक ऐसा ही दृष्टान्त हमें कठोपनिषद में यम - नचिकेता संवाद में भी दृष्टिगोचर होता है | महान दार्शनिक शंकराचार्य  अहं ब्रह्मस्मि अर्थात् मैं ही ब्रह्म हूँ के आध्यात्मिक ज्ञान का दीप अपने हृदय में प्रज्ज्वलित करने का आग्रह करते हैं | उनके द्वारा प्रदत्त अद्वैत दर्शन ब्रह्म को ही एकमात्र सत्य और शेष समस्त जगत को मिथ्या रुप में देखता है |औपनिषदिक शिक्षा केवल जीवन मुक्ति का मार्ग ही नहीं बतलाती वरन आधुनिक युग में जीवन जीने की कला को प्रदर्शित करके त्रिविध शान्ति का मार्ग भी प्रशस्त करती है | इसी प्रतिपदान शैली के कारण उच्च एवं गहन विचार अपरिपक्व बुद्धि वाले मनुष्यो तक भी अनायास ही पहुंच जाते हैं|आध्यात्मिक शिक्षा को हृदयंगम  करने के उपरांत मनुष्य को सांसारिक अभ्युदय एवं नि:श्रेयस की प्राप्ति स्वत: ही हो जाती है

( लेखक : दीपक शास्त्री शोद्यार्थी  , धार्मिक अध्ययन संस्थान, गुरु जम्बेश्वर विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी विश्व विद्यालय हिसार  )

 

 

 

Thursday, December 24, 2020

Reflections of FIP Programme

विदा होने से पहले...

सुबह के 9.30 बजे...

इतनी भाग-दौड़ के बाद भी 9.30 हो ही गए। अरे यह क्या, 9.31... ये सिस्टम भी न... एन वक़्त पर नखरे दिखाता है... चलो, आया तो सही...

कैमरा तो ऑफ कर ही देता हूं। दाढ़ी बनाए छह दिन हो गए, अनुराग सर क्या सोचेंगे... ओह... 9.33... चलो लोगिन तो हुआ।

सामने स्क्रीन पर जांभोजी के तस्वीर के साथ आवाज़ कानों में पड़ती है... तम मिटे अज्ञानता का... ज्ञान की नव भोर हो...

एक लंबी श्वांस लेता हूं, आंखें बंद... और अज्ञानता का अंधकार धीरे-धीरे छंटने लगता है... ईश्वरीय अनुभूति का अहसास...

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नोटबुक में तारीख डालता हूं... और साथ ही दिन... पहला दिन, दूसरा दिन, तीसरा... पंद्रहवां... पच्चीसवां... उनतीसवां... हाथ कांपता है अंतिम दिनलिखते हुए... चलो रहने ही देता हूं... यह जो कारवां जुड़ा है, यह अनंत है...

यह तो आभासी दुनिया थीं, जिसमें एक भी शख़्स से रूबरू नहीं हुआ, फिर काहे का कारवां... दिमाग़ प्रश्न करता है।

-आभासी??? दिल प्रतिप्रश्न करता है- अनुराग सर आभासी हैं? वंदना मैम आभासी हैं?    

-नहीं, वे तो हमारे गुरु हैं...

-फिर कौन आभासी हैं? अरूप सर?

-अरे नहीं, वे तो हमारे अंतर्मन में बस चुके हैं, बरसों तक उनकी आवाज़ कानों में ख़नकती रहेगी। सुदूर प्रदेश से... पहाड़, नदी, नाले, खाईयां लांघती हुई। हैलो सर... हैलो सर... हैलो... हैलो... हैलो...

-और साग्निका मैम?

-अहिंदी भाषी होते हुए भी उनकी हिंदी में इतनी ख़नक कैसे है?

-हिंदी दिल की भाषा है न इसलिए। अब तो मिल गया ज़वाब?

दिमाग़ अब शांत है, दिल से कहता है- भाड़ में जाओ, तुम जो सोचते हो, वह करो।    

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वंदना मैम ने शुरू में ही कहा था कि प्रोग्राम पूरा होने पर आपका जाने का मन ही नहीं होगा।

होगा भी कैसे मैम?

आपने कभी इस प्रोग्राम को बोझ नहीं बनने दिया। जैसे छोटे बच्चों को संभाला जाता है, पहली, दूसरी कक्षा के... वैसे संभाला है आपने।

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और अनुराग सर... काश... ऐसे टीचर हमें पहले मिलते। अब तो अनुराग सर की तरह ही बनना पड़ेगा।

मुझे कॉलेज के सर याद आते हैं, जिन्होंने एग्ज़ाम ड्यूटी से बचने के लिए झूठी कोविड पॉजिटिव रिपोर्ट बनवा ली थी।

...और एक अनुराग सर हैं कि कोविड पॉजिटिव होने के बावजूद पूरे प्रोग्राम में रोजाना सुबह से लेकर शाम तक साथ बने रहे।

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पांच बज रहे हैं... हम सवाल पर सवाल दागे जा रहे हैं।

यह हमें हो क्या गया है... छोटी-छोटी बातें भी पूछने की होती है क्या?... थोड़ा ख़ुद का दिमाग़ भी लगा लो यार... ख़ुद को प्रोफेसर और कहते हो... मैं झल्लाता हूं।

पर अनुराग सर मुस्कुराए जा रहे हैं और जवाब दिए जा रहे हैं।

प्रजेंटेशन कितना भी बिगड़ा हो... डेली रिपोर्ट कितनी भी खराब बनी हो... पर अनुराग सर हमेशा उत्साहवर्धन ही करेंगे।

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और अब... इस आभासी दुनिया के ये चेहरे, तीस दिन में संगी साथी बन गए हैं। किसी का चेहरा, किसी की प्रोफाइल पिक्चर, किसी का नाम, किसी का मैसेज़... बरसों बरस तक स्मृतियों में बने रहेंगे।

  


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डॉ. राजपाल सिंह शेखावत

फैकल्टी इंडक्शन प्रोग्राम-2,3 (18.11.2020 से 23.12.2020)

असिस्टेंट प्रोफेसर-हिंदी

राजकीय कन्या महाविद्यालय, पीपाड़ सिटी, ज़िला- जोधपुर, राजस्थान-342601